तकनीक के साथ भावनात्मक संवेदनाओं को बच्चों के साथ जोड़ना होगा – सीएम योगी

बेसिक शिक्षा परिषद के सभी विद्यालयों के पास अपना एक डाटा बैंक होना चाहिए, जिसमें अभिभावक का पूर्ण डाटा, उसका टेलीफोन नम्बर हो। साथ ही, ग्राम पंचायत, शासन की योजनाओं से उसे मिल रहे लाभ, सरकारी नौकरी, रोजगार, व्यवसाय, इत्यादि का वर्णन हो।

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लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज का समय तकनीकी का समय है। हमें तकनीक के साथ ही, अपनी भावनात्मक संवेदनाओं को बच्चे के साथ जोड़कर रखना होगा, तभी बच्चे आगे बढ़ पाएंगे और सफल हो पाएंगे। हमें तकनीक से परहेज नहीं करना है। तकनीक ही बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। तकनीक उन बच्चों को देश व दुनिया से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगी। स्कूल ही वह स्थान है, जहां बच्चे के मन में समाज तथा राष्ट्र के लिए संवेदना एवं भावना पैदा की जा सकती है।

आजादी के अमृत महोत्सव में स्कूली शिक्षा का योगदान

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत के साथ एवं उसके बाद आजाद हुए कई देश आज बिखरते हुए दिखाई दे रहे हैं।  इस संकल्प में सबसे बड़ा योगदान हमारी स्कूली शिक्षा का हो सकता है। स्कूली शिक्षा को इसके साथ जुड़ना होगा। प्रत्येक बच्चे में अपने स्कूल, मातृ-भूमि, गांव, माता-पिता, अभिभावक, गुरुजनों तथा अपने से बड़ों के प्रति आदर का भाव पैदा करना होगा।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक जिम्मेदारी पूरे देशवासियों को सौंपी है कि आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के साथ अमृत काल तथा देश की आजादी के शताब्दी महोत्सव की तैयारी के साथ जुड़ें। आजादी की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर हमारा भारत, हमारा प्रदेश, जनपद, विकास खण्ड, ग्राम, ग्राम पंचायतें तथा बेसिक शिक्षा परिषद की कैसी स्थिति होनी चाहिए, इस परिकल्पना को साकार करने का एक अवसर आजादी का अमृत महोत्सव हम सबके सामने प्रस्तुत कर रहा है।

गंदगी और साफ सफाई के लिए बच्चों को करे जागरूक

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विद्यालय के प्रधानाचार्य व शिक्षक अगर तय कर लें कि विद्यालय में कहीं भी गन्दगी नहीं होगी, तो विद्यालय के भवनों पर पेड़ नहीं उगेंगे। विद्यालय के भवन की देखभाल मन्दिर या पवित्र धर्म स्थल  की तरह करना होगा। यह एहसास या पवित्र भाव मन से होना चाहिए। जिस ग्राम पंचायत में हमारा विद्यालय है, उस ग्राम पंचायत का एक भी बच्चा ऐसा न रहे, जो स्कूल जाने से वंचित हो। विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षामित्र संकल्प ले ले, तो कोई भी बच्चा स्कूल में जाने से वंचित नहीं होगा। इसके लिए उन्हें गांव में जाकर एक-एक अभिभावक के साथ संवाद बनाना होगा। अभिभावक के घर में जाने से शिक्षकों को कोई संकोच नहीं होना चाहिए। यह उनका दायित्व है।

प्रत्येक बच्चों की निजी जानकारी रखे

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर किसी कारणवश या अस्वस्थता के कारण कोई बच्चा स्कूल नहीं आ रहा है, तो शिक्षक को प्रत्यक्ष या मोबाइल फोन के द्वारा बातचीत कर उसकी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद के सभी विद्यालयों के पास अपना एक डाटा बैंक होना चाहिए, जिसमें अभिभावक का पूर्ण डाटा, उसका टेलीफोन नम्बर हो। साथ ही, ग्राम पंचायत, शासन की योजनाओं से उसे मिल रहे लाभ, सरकारी नौकरी, रोजगार, व्यवसाय, इत्यादि का वर्णन हो। बच्चों को शिक्षक के द्वारा किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम, मॉर्निंग असेम्बली या कक्षा की समाप्ति के बाद गांव के बारे में बताया जाए, तब बच्चों के मन में यह धारणा पैदा होगी कि उनके स्कूल के पास गांव के सम्बन्ध में सभी जानकारी उपलब्ध है।

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