पंचायती राज निदेशालय में अन्तर्विभागीय समन्वयन कार्यशाला का आयोजन

0 139

उत्तर प्रदेश , लखनऊ – सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर अन्तर्विभागीय समन्वयन कार्यशाला का आयोजन पंचायतीराज निदेशालय, लोहिया भवन, अलीगंज लखनऊ में पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान (प्रिट) द्वारा किया गया।

कार्यशाला में सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीय स्तर ग्राम पंचायत के उत्तरदायी विभिन्न विभागों स्वास्थ्य, खाद्य एवं रसद, सिंचाई, आजीविका मिशन, युवा कल्याण, समाज कल्याण, सहकारिता, पुलिस विभाग, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, ग्रामीण अभियंत्रण, संस्कृति, विकलांग कल्याण आदि के 46 से अधिक अधिकारियों/ सलाहकारों तथा सहयोगी संस्थाओं जैसे-यूनिसेफ, एच०सी०एल०, सी3, वाटरएड आदि के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अनुज कुमार झा, निदेशक, पंचायतीराज द्वारा बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित 17 सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु पंचायतीराज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उक्त लक्ष्यों को 09 विषयगत क्षेत्रों यथा-गरीबी मुक्त गांव, स्वस्थ गांव, बाल हितैषी गांव,  पर्याप्त जल वाला गांव, स्वच्छ एवं हरित गांव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे वाला गांव, सामजिक रूप से सुरक्षित एवं न्याय संगत गांव, सुशासन वाला गांव एवं महिला हितैषी गांव में विभाजित करते हुए यह अपेक्षा की है कि त्रिस्तरीय पंचायतों के माध्यम से इनकी स्थानीय स्तर पर शतप्रतिशत प्राप्ति की जाये। इसके लिए जमीनी स्तर पर कार्यरत विभिन्न विभागों, कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं तथा समुदाय आधारित संगठनों जैसे स्वयं सहायता समूहों, युवक मंगल दलों तथा स्वयं सेवकों को एकजुट होकर ग्राम पंचायत को सहायता प्रदान करनी होगी। विभिन्न विभागों को ग्राम सभा की बैठक में उपस्थित होकर उनके विभाग द्वारा संचालित योजनाओं / गतिविधियों के बारे में जानकारी देनी होगी, विभागीय योजनाओं के माध्यम से 09 विषयगत क्षेत्रों में निर्धारित लक्ष्यों की किस प्रकार प्राप्ति हो, इसके मानक तय करने पड़ेगें ताकि ग्राम पंचायतें क्रिटिकल गैप पर कार्य कर इन मानकों पर रिपोर्टिंग राज्य स्तर को कर सके।

स्थानीयकरण के लिए सतत् विकास लक्ष्य के बारे में बताया,

सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर बात करते हुए ए०के० शाही, संयुक्त निदेशक (पं०), पंचायतीराज द्वारा बताया गया कि पंचायतीराज विभाग द्वारा सुशासन, आत्म निर्भर बुनियादी ढांचे तथा स्वच्छ एवं हरित गांव विषय की प्राप्ति हेतु सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, ग्राम सचिवालय, कॉमन सर्विस सेन्टर की स्थापना, वृक्षारोपण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन, डिजिटाईजेशन, ई. गवर्नेन्स, क्षमता संवर्द्धन एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी बहुत से कार्य किये जा रहे हैं। आवश्यकता है कि पंचायतों को यह बताने की कि पूर्व से ही उनके द्वारा उक्त 09 विषयगत क्षेत्रों पर कार्य किया जा रहा है एवं किस प्रकार से विभिन्न विभागों का सहयोग लेकर हम 09 विषयगत क्षेत्रों के निर्धारित लक्ष्यों की शतप्रतिशत प्राप्ति कर सकते हैं।

09 विषयगत क्षेत्रों पर भी कार्य करने की चर्चा

इस विषय पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्द्धन करते हुए प्रवीणा चौधरी, संयुक्त निदेशक, द्वारा बताया गया कि अभी तक प्रदेश में सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति को केन्द्रित करते हुए कार्य किया जा रहा था, पंचायतों के संदर्भ में सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीकरण की यह प्रथम राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित करने का उद्देश्य है कि समस्त विभाग इस पहल पर समान समझ विकसित कर सके एवं उक्त 09 विषयगत क्षेत्रों की शतप्रतिशत प्राप्ति में स्वयं के योगदान को देखते हुए विषयवार मानक तय कर सके।

इस अवसर पर यूनिसेफ प्रतिनिधि के साथ पंचायतीराज विभाग के राज्यस्तरीय कन्सलटेन्ट द्वारा विभिन्न विषयगत क्षेत्रों पर प्रस्तुतीकरण देते हुए 09 विषयगत क्षेत्रों पर आधारित मॉनीटरिंग फ्रेमवर्क पर भी चर्चा की गयी तथा समस्त विभागों को यह दायित्व दिया गया कि वह मॉनीटरिंग फ्रेमवर्क में अंकित मानकों में स्वयं से सम्बन्धित ऐसे मानकों को चिन्हित करें जिससे कि प्रतिमाह पंचायत स्तर पर किये जा रहे कार्यों की प्रगति को राज्य स्तर पर देखा जा सके। अन्त में विभिन्न विभागों से सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण की प्राप्ति हेतु सुझाव आमंत्रण एवं धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला समाप्त की गयी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.